पर्यावरण का संरक्षण बना चुनौती, बढ़ी सांस की बीमारी

by janchetnajagran

पटना : पर्यावरण संरक्षण दिन प्रतिदिन चुनौती बनती जा रही है. पेड़ लगाए जाने के तीन गुना पेड़ की कटाई हो रही है. वही भूगर्भीय जल का अवशोषण 8 से 10 गुणा बढ़ गया है. भूमि के अंदर जल पहुंचाने के पारंपरिक साधन मृतप्राय हो गए हैं. इसके अलावे पॉलीथिन के प्रयोग, एसी और फ्रिज जैसे संसाधन का उपभोग, वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग पर्यावरण को तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है. इसका परिणाम यह हुआ है कि पानी के लिए प्रसिद्ध मिथिलांचल का यह क्षेत्र आज पानी के लिए तरस रहा है. यानी पर्यावरण पर दो तरफा मार पड़ रही है. एक तो उसका तेजी से अवशोषण हो रहा है वहीं उसकी भरपाई में 10 गुना तक कमी हो गई है। इसको रिचार्ज करने के साधन में बेतहाशा कमी आ गई है. शहर में पानी के उपयोग की मात्रा बढ़ी है. लेकिन भूगर्भीय जल रिचार्ज करने के साधन में काफी कमी आ गई है. यही हाल पौधरोपण का हो गया है. यह तेजी से काटे जा रहे हैं उसकी जगह बड़े-बड़े भवन खड़ा हो चुके हैं.

स्थानीय वन विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर विकास विभाग और अन्य विभागों के द्वारा विगत सालों में दो लाख पौधे लगाए गए हैं. लेकिन उन पौधों की स्थिति वर्तमान में काफी खराब है. जो पौधे लगे हैं उसमें कितना जीवित है इसका डाटा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है. वही एक आंकड़े के अनुसार इस अवधि में इसके दोगुने पर काटे गए हैं. जहां पर आलीशान भवन बनाए गए हैं. हालांकि इस साल भी पर सभी विभागों ने पौधरोपण की व्यापक तैयारी की है. पर्यावरण प्रदूषण के कई कारण प्रदूषण के कई प्रमुख कारण है. रोक के बावजूद पॉलिथीन का बेतहाशा प्रयोग किया जा रहा है. जल संरक्षण के किए गए उपाय ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. बड़े पैमाने पर तालाब कुआं और अन्य जलस्रोत को भर दिया गया है. वाहनों के प्रयोग प्रयोग में वृद्धि हुई है.

 

Related Posts