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लैंसडाउन : भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जयहरीखाल मे आज नमामि गंगे इकाई के तत्वधान में उत्तराखंड के लोक पर्व ” हरेला “का पोधारोपण कर किया गया शुभारम्भ। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो डॉ एल आर राजवंशी द्वारा महाविद्यालय की नवनिर्मित वाटिका में पोधरोपण कर “हरेला “पर्व का शुभारम्भ किया, उनके द्वारा अपने सम्बोधन में बताया गया कि उत्तराखंड के लोगो द्वारा श्रावण मास में पढने वाले हरेला पर्व को अधिक महत्व दिया जाता हैं क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हम सबको पेड़ लगाने चाहिए ।
महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो डॉ एस पी मधवाल द्वारा हरेला पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया की सावन लगने से नौ दिन पहले पांच या सात प्रकार के अनाज के बीज एक रिंगाल को छोटी टोकरी में मिटटी डाल के बोई जाती हैं| इसे सूर्य की सीधी रोशनी से बचाया जाता है और प्रतिदिन सुबह पानी से सींचा जाता है। 9 वें दिन इनकी पाती की टहनी से गुड़ाई की जाती है और दसवें यानि कि हरेला के दिन इसे काटा जाता है। और विधि अनुसार घर के बुजुर्ग सुबह पूजा-पाठ करके हरेले को देवताओं को चढ़ाते हैं| उसके बाद घर के सभी सदस्यों को हरेला लगाया जाता है ।
डॉ डी सी बेबनी द्वारा हरेला पर्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हरेला का अर्थ हरियाली से है. यह पर्व हरियाली और नई ऋतु के शुरू होने का सूचक है. उत्तराखंड में हरेला पर्व से सावन शुरू होता है. इस पर्व को शिव पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है.हमें ये संकल्प लेना चाहिए की हमें अपनी देव भूमि को हरा भरा रखना है और प्रत्येक व्यक्ति को पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ आर के द्विवेदी, डॉ वी के सैनी , डॉ संजय मदान, डॉ पंकज कुमार, डॉ प्रीति रावत,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजवीर सिंह रजवार,प्रयोगशाला सहायक बलवंत सिंह नेगी एवं समस्त कर्मचारी उपस्थित रहे।