पीएम मोदी ने मन की बात में नीती-माणा घाटी की महिलाओं का खासतौर पर किया जिक्र, कहा भोजपत्र पर दी गई भेंट उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से हैं एक

by janchetnajagran

चमोली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के तहत देशभर में हो रहे अभिनव पहलों के बारे में अपनी बात साझा की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने नीती-माणा घाटी की महिलाओं का खासतौर पर जिक्र किया। मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि भोजपत्र पर दी गई महिलाओं की भेंट उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। मै इससे अभिभूत हूॅ। प्राचीन काल से हमारे शास्त्र और ग्रंथ इन्ही भोजपत्र पर सहेजे जाते रहे है। आज देवभूमि की महिलाएं इस भोजपत्र से बेहद सुंदर स्मृति चिन्ह और कलाकृतियां बना रही है। भोजपत्र की प्राचीन विरासत उत्तराखंड की जीवन में खुशहाली ला रही है। उत्तराखंड सरकार भोजपत्र से नए नए प्रोडक्ट तैयार करने के लिए प्रशिक्षण देने के साथ भोजपत्र की दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करने काम भी कर रही है। जिन क्षेत्रों को कभी देश का आखिरी छोर माना जाता था उन्हें आज देश का प्रथम गांव मानकर विकास हो रहा है। यह प्रयास प्राचीन संस्कृति को संजोने के साथ ही महिलाओं की आर्थिकी का जरिया भी बन रहा है। इसको लेकर प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड धामी सरकार की भी खूब सराहना की।

दरअसल माणा गांव की महिलाओं ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें महिलाओं ने भोजपत्र को लेकर शुरू किए गए काम के लिए उनको धन्यवाद दिया था। विगत 21 अक्टूबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी सीमांत गांव माणा आए थे। इस दौरान बदरीनाथ में आयोजित सरस मेले में स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भोजपत्र पर तैयार एक अनूठी कलाकृति प्रधानमंत्री को भेंट की थी। जिसके बाद पीएम ने जनजाति महिलाओं की खूब प्रशंसा की थी। नीति माणा गांव की महिलाओं ने इससे प्रेरित होकर भोजपत्र पर लिखी श्री बदरीनाथ की आरती और एक पत्र प्रेषित कर आभार जताया। पीएम ने इस पत्र को लेकर ट्वीट भी किया था, जिसके बाद महिलाओं के भोजपत्र से बनने वाले प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ गई है। उनको लगातार विभिन्न प्रोडक्ट बनाने के ऑर्डर मिल रहे है। महिलाओं का कहना है कि इससे उनको आर्थिक लाभ हो रहा है और इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।

जिला प्रशासन द्वारा भोजपत्र से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कारगर प्रयास किए गए है। भोजपत्र स्मृति चिह्न बनाने के लिये महिलाओं को निरन्तर सुलेख प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दुर्लभ भोजपत्र को संरक्षित पौधशालाएं स्थापित की गई है।
 



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