श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में “जेंडर सेंसिटाइजेशन : समावेशी और समान अवसर वाले शिक्षण वातावरण का निर्माण” विषयक संगोष्ठी का सफल आयोजन

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ऋषिकेश : श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में “जेंडर सेंसिटाइजेशन: समावेशी और समान अवसर वाले शिक्षण वातावरण का निर्माण” विषय पर पी.टी. एल.एम.एस. परिसर, ऋषिकेश के शिक्षा विभाग के सहयोग से श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर द्वारा एक दिवसीय संगोष्ठी का भव्य एवं सफल उद्घाटन आज दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “जेंडर समानता केवल संवैधानिक अधिकार नहीं, बल्कि यह एक प्रगतिशील समाज के निर्माण की आधारशिला है। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे शिक्षण संस्थान ऐसे स्थान बनें जहाँ हर विद्यार्थी को, चाहे उसका लिंग या सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, सम्मान और समान अवसर मिले। उन्होंने शिक्षण, शोध एवं परिसर संस्कृति में समावेशिता को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का भी यही दृष्टिकोण है।” इस कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में लैंगिक संवेदनशीलता, समान अवसर और समावेशी वातावरण को बढ़ावा देना है । साथ ही, उन्होंने फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर के सहयोगी मार्गदर्शन एवं मूल्यवान योगदान तथा आयोजन टीम , विशेषकर डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी और डॉ. सीमा बनिवाल के समर्पित प्रयासों की सराहना की।

फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक एवं गणित विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता तोमर ने स्वागत भाषण में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ शिक्षा केवल ज्ञान हस्तांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव का माध्यम है। जेंडर सेंसिटाइजेशन समावेशी और समान अवसर वाले शिक्षण वातावरण के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने कक्षाओं, शोध स्थानों और विश्वविद्यालय परिसर में ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ हर विद्यार्थी को सम्मान और अवसर मिले। इस संगोष्ठी के माध्यम से हम शिक्षकों को जागरूक करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी केवल व्याख्यानों की श्रृंखला भर नहीं है हमने इस कार्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया है कि इसमें न केवल सैद्धांतिक पहलू शामिल हों बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण पर भी चर्चा हो सके।”

प्रो. तोमर ने कुलपति प्रो. एन. के. जोशी के निरंतर प्रोत्साहन, दूरदर्शी नेतृत्व एवं शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों एवं विद्यार्थियों में लैंगिक संवेदनशीलता के प्रति जागरूकता बढ़ाना; समावेशी शिक्षण पद्धति एवं संस्थागत नीतियों पर प्रकाश डालना एवं लैंगिक पूर्वाग्रह को समाप्त करने एवं समानता को प्रोत्साहित करने पर संवाद स्थापित करना।

उद्घाटन सत्र में प्रभारी परिसर निदेशक एवं कला संकाय के डीन प्रो. पी. के. सिंह ने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता शिक्षण संस्थानों में अत्यंत आवश्यक है। यह न केवल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में सहायक है, बल्कि समाज में संतुलित और सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने में भी योगदान देती है। विज्ञान संकाय के डीन प्रो. एस. पी. सती कि जेंडर सेंसिटाइजेशन केवल एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि एक अकादमिक आवश्यकता है। जब तक हम शोध और शिक्षण में लैंगिक समानता नहीं लाएंगे, तब तक ज्ञान का सही अर्थ में लोकतंत्रीकरण नहीं हो सकता।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. अमूल्य कुमार आचार्य (फकीर मोहन विश्वविद्यालय, बालासोर, ओडिशा) एवं डॉ. रामेन्द्र कुमार पाढ़ी (केंद्रीय विश्वविद्यालय, ओडिशा, कोरापुट) रहे, जिन्होंने जेंडर समानता, समावेशी शिक्षा तथा शैक्षणिक संस्थानों में लैंगिक संवेदनशीलता पर अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का हस्तांतरण नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप समावेशी और समान अवसर वाले शिक्षण वातावरण का निर्माण आज की आवश्यकता है, और इसमें जेंडर सेंसिटाइजेशन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने जेंडर दृष्टिकोण, कानूनी ढाँचे, नीतिगत प्रावधानों और व्यावहारिक उपायों पर अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी के अंत में प्रतिभागियों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र भी आयोजित किया गया।

कोर्स समन्वयक डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों और शोधार्थियों को जागरूक करना है ताकि वे अपनी कक्षाओं में समावेशी वातावरण का निर्माण कर सकें। लैंगिक समानता से संबंधित मुद्दों को समझना और उन पर कार्य करना हम सबकी जिम्मेदारी है।” अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी ने माननीय कुलपति, परिसर निदेशक, अधिष्ठाता गण, वक्ताओं और प्रतिभागियों तथा विशिष्ट अतिथियों एवं आयोजन समिति के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया गया।

उद्घाटन सत्र में प्रो. पी. के. सिंह, प्रो. एस. पी. सती, प्रो. वी. के. श्रीवास्तव, प्रो. हेमलता मिश्रा, प्रो. कंचन लता सिन्हा, प्रो. पूनम पाठक, प्रो. दिनेश सिंह, प्रो. संगीता मिश्रा, डॉ. शिखा , सह-समन्वयक डॉ. सीमा , विश्वविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण, शोधार्थी, एवं राज्यभर के प्रतिभागी उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्रतिभागियों में उत्साह और जिज्ञासा स्पष्ट रूप से देखने को मिला।

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