मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से पहाड़ में आत्मनिर्भरता की मिसाल ग्रामसभा पाटा के कुलानंद चमोली

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टिहरी : जनपद के विकासखंड चंबा की ग्रामसभा पाटा के निवासी कुलानंद चमोली ने यह साबित कर दिया है कि जब नीति स्पष्ट हो और उसे ज़मीन पर सही तरीके से लागू किया जाए, तो पहाड़ी क्षेत्रों में भी बड़े स्तर का स्वरोजगार सफल हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के अंतर्गत कुलानंद चमोली ने 200 किलोवॉट क्षमता का सोलर पावर प्लांट स्थापित किया। यह परियोजना न केवल स्वच्छ ऊर्जा प्रदान कर रही है, बल्कि स्थायी आय और आर्थिक बचत का मजबूत मॉडल भी बन गई है।

राज्य सरकार ने योजना के तहत जिलों को A, B, C और D श्रेणी में विभाजित किया है। B श्रेणी के पर्वतीय जिलों में लाभार्थियों को 40 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी और ₹4 लाख प्रति वर्ष, 3 वर्षों तक ब्याज सब्सिडी जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इसी आर्थिक सहायता से कुलानंद चमोली ने अपनी परियोजना को सफलतापूर्वक स्थापित किया।

आज उनके सोलर पावर प्लांट से न केवल नियमित आय हो रही है, बल्कि बिजली खर्च में कटौती के चलते उन्हें हर महीने लगभग ₹20,000–₹25,000 की बचत भी हो रही है। यह पहल मुख्यमंत्री धामी की सोच को साकार करती है, जिसमें युवा अपने गांव में रहकर रोजगार उत्पन्न करें और पलायन की मजबूरी से बचें।

कुलानंद चमोली की यह सफलता दिखाती है कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना और टिहरी प्रशासन की प्रतिबद्धता केवल कागज़ों की योजना नहीं, बल्कि जमीन पर परिणाम देने वाली ठोस नीति है। सही श्रेणी, सही सब्सिडी और स्पष्ट मार्गदर्शन के साथ उत्तराखंड में ग्रीन एनर्जी के माध्यम से आत्मनिर्भरता अब वास्तविकता बन चुकी है।

कुलानंद चमोली इस परियोजना के माध्यम से “आत्मनिर्भर उत्तराखंड” विज़न को गांव स्तर पर साकार करने वाले प्रेरक उद्यमी के रूप में उभरे हैं।

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