RBI की मौद्रिक नीति : रेपो रेट में 25 बीपीएस कटौती, जीडीपी अनुमान 7.3% पर, महंगाई 2% रहने का पूर्वानुमान

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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार (5 दिसंबर 2025) को अपनी वित्त वर्ष 2025-26 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक के नतीजों का ऐलान किया। गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 बीपीएस (0.25%) की कटौती कर इसे 5.25% कर दिया। साथ ही, नीति रुख को ‘तटस्थ’ (न्यूट्रल) बनाए रखा। यह फैसला आम कर्जदारों के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि इससे होम लोन, कार लोन और अन्य ईएमआई में कमी आ सकती है।

गवर्नर मल्होत्रा ने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘गोल्डीलॉक्स मोमेंट’ करार दिया, जहां पहली छमाही में 8% जीडीपी ग्रोथ और 2.2% महंगाई जैसी आदर्श स्थिति है। न तो ज्यादा तेजी और न ही मंदी—सब कुछ संतुलित। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया, जबकि महंगाई (सीपीआई) का अनुमान 2.6% से घटाकर 2% कर दिया। यह अर्थव्यवस्था के मजबूत स्वास्थ्य का संकेत है।

एमपीसी के 10 प्रमुख फैसले और प्रभाव

आरबीआई की इस नीति से जुड़ी 10 अहम बातें, आसान भाषा में:

रेपो रेट कटौती से लोन सस्ते होंगे: रेपो रेट 5.50% से घटकर 5.25% हो गया। इससे बैंकों की उधार लागत कम होगी, जो ग्राहकों को होम लोन या बिजनेस लोन पर ब्याज दरों में कमी के रूप में फायदा देगी। उदाहरण: 50 लाख का होम लोन (20 साल, 8.5% ब्याज) पर ईएमआई 43,391 रुपये से घटकर 42,603 रुपये हो सकती है—महीने में 788 रुपये और सालाना 9,456 रुपये की बचत। इसी तरह, 5 लाख का कार लोन (12% ब्याज) पर 11,282 रुपये से 11,149 रुपये—महीने में 133 रुपये की राहत।

‘गोल्डीलॉक्स’ दौर में अर्थव्यवस्था: गवर्नर ने कहा कि 8% ग्रोथ और 2.2% महंगाई ‘दुर्लभ संतुलन’ दिखाती है। खाद्य कीमतों में गिरावट और कोर महंगाई में नरमी से यह स्थिति बनी है, जो भविष्य के लिए सकारात्मक है।

जीडीपी ग्रोथ अनुमान ऊपर: विनिर्माण व सेवा क्षेत्र की रफ्तार से वित्त वर्ष 2026 की जीडीपी ग्रोथ 6.8% से बढ़ाकर 7.3% का अनुमान। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 7%, चौथी में 6.5% रहने की उम्मीद।

महंगाई पर काबू, अनुमान घटा: अक्टूबर में महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25% पर पहुंची। पूरे वर्ष के लिए अनुमान 2.6% से घटाकर 2%—तीसरी तिमाही में 0.6%, चौथी में 2.9%। अगले वर्ष की पहली दो तिमाहियों में 3.9% और 4% रहने का पूर्वानुमान।

नीति रुख तटस्थ: एमपीसी ने तटस्थ रुख चुना, जो महंगाई नियंत्रण के साथ ग्रोथ को बढ़ावा देने का संकेत। इससे भविष्य में और कटौती या स्थिरता की गुंजाइश बनी रहेगी।

विनिर्माण व सेवा क्षेत्र मजबूत: विनिर्माण में निरंतर सुधार और सेवा क्षेत्र में स्थिर वृद्धि। ये रोजगार व अर्थव्यवस्था की आधारशिला हैं, जिनका अच्छा प्रदर्शन सकारात्मक है।

तीसरी तिमाही में भी तेजी: त्योहारों के बाद मांग घटने की आशंका के बावजूद, बिजली खपत व वाहन बिक्री जैसे हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स मजबूत गतिविधियों का इशारा कर रहे हैं।

फॉरेक्स रिजर्व रिकॉर्ड स्तर पर: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 686 अरब डॉलर पर पहुंचा, जो 11 महीने के आयात बिल को कवर करने लायक। इससे रुपये की स्थिरता बनी रहेगी।

बैंकों को ग्राहक-केंद्रित रहने की सलाह: बैंकों की सेहत व मुनाफा मजबूत, लेकिन गवर्नर ने कहा—ग्राहकों को नीतियों का केंद्र बनाएं। मुनाफे के साथ सुविधाओं पर फोकस।

बाजार में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित: त्योहारी मांग व क्रेडिट जरूरतों को देखते हुए, आरबीआई सिस्टम में टिकाऊ तरलता बनाए रखेगा। दिसंबर में 1 लाख करोड़ रुपये के ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) खरीद से नकदी इंजेक्ट होगी।

यह नीति न केवल कर्जदारों को राहत देगी, बल्कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘स्वीट स्पॉट’ में मजबूत बनाएगी। स्टॉक मार्केट ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जहां सेंसेक्स व निफ्टी 0.3% ऊपर खुले।

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