जानिए करवाचौथ व्रत का महत्‍व, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

by janchetnajagran

 

हरिद्वार : हिन्दू धर्म में करवा चौथ बड़े व्रत-त्‍योहारों में से एक है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की अच्‍छी सेहत और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत का बहुत अधिक महत्व है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात नौ बजकर तीस मिनट से शुरू होकर 01 नवंबर को रात नौ बजकर उन्नीस मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ्र का व्रत 01 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा।  करवा चौथ की पूजा 01 नवंबर को शाम पांच बजकर चौवालीस मिनट से सात बजकर दो मिनट तक की जा सकती है। उस दिन चंद्रोदय आठ बजकर छब्बीस मिनट पर होगा।

सुहागिन महिलाओं का सबसे खास पर्व करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और करवा माता की पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और इस व्रत का समापन शाम को चांद को अर्घ्य देने के बाद होता है। इस दिन के लिए सुहागिन महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं।

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलओं के लिए खास माना जाता है। इस व्रत के फल स्वरूप अखंड सौभग्य मिलता है। हिंदू पंचाग के अनुसार, कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा। करवा चौथ का दिन हर सुहागिन महिला के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिलाऐं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियाँ भी अपने होने वाले पति के लिए या मनचाहे पति के लिए यह व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाऐं पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं यानी पूरे दिन पानी भी नहीं पीती हैं। करवा चौथ के दिन व्रत-पूजन करते समय नियमों का पालन करना बहुत जरुरी है। करवा चौथ का व्रत बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत के दौरान महिलाएं पूरा दिन निर्जल रहकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। ऐसे में अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं तो हम आपको इस व्रत के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं-

ऐसे करें दिन की शुरुआत

दिन देश के हर हिस्से में करवा चौथ का व्रत अलग-अलग तरीके से रखा जाता है। जैसे पंजाब में महिलाऐं सुबह सरगी खाने के साथ इस व्रत की शुरुआत करती हैं। तो कुछ महिलाऐं करवा चौथ के दिन रात में चाँद देखे बिना कुछ भी खाती या पीती नहीं हैं। करवा चौथ के दिन सूरज उगने से पहले सास अपनी बहू को सरगी देती है। सरगी में बहू के लिए कपड़े, सुहाग का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर और खाने की चीज़ें जैसे फेनियाँ, शक्करपारे, फ्रूट्स, ड्राईफ्रूट, नारियल आदि रखा जाता है। सास की दी हुई सरगी खाकर बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है। अगर ससुराल से दूर रहती हैं तो सास अपनी बहू के लिए सरगी के पैसे भिजवा सकती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाऐं सुबह नहाकर सास का दिए हुए कपड़े और शृंगार की चीज़ें पहनती हैं। इसके बाद सूरज डूबने से पहले करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। अगर आप घर पर अकेली हैं या आपने ऑफिस से छुट्टी ली है तो करवा चौथ की पूजा या कथा सुनने जाने से पहले शाम के खाने और पूजा की सारी तैयारी कर सकती हैं। 

करवा चौथ के दिन ऐसे करें पूजा

करवा चौथ के दिन औरतें कथा सुनने के लिए मंदिर जाती हैं या गली-मौहल्ले की औरतें भी आपस में ही कथा सुन लेती हैं। करवा चौथ की कथा सूरज ढलने से पहले ही सुनी जाती है। शाम के वक्त करवा चौथ व्रत की कथा नहीं सुनी जाती है इसलिए समय से सब तैयारियां कर लें और सूरज ढलने से पहले ही कथा सुन लें। करवा चौथ की कथा सुनते समय साबुत अनाज और मीठा साथ में रखकर कहानी सुनी जाती है। इसके बाद सात सुहागन आपस में गाना गाते हुए थालियां फेरती हैं। थाली तब तक फेरी जाती है जब तक हर किसी की थाली उसके पास नहीं पहुंच जाती। वहीं, अगर आप ऑफिस में हैं या कथा सुनने नहीं जा सकती हैं तो ऐसे में आप अकेले कहानी पढ़ सकती हैं या मोबाइल पर कहानी सुन सकती हैं। कथा सुनने के बाद बहु को अपनी सास के लिए बायना निकालना होता है। इसमें सास के लिए कपड़े, सुहाग का सामान, खाने की चीज़ें जैसे मिठाई, मठ्ठी, गुलगुले आदि, पानी का लोटा, शगुन के पैसे ज़रूर रखें। हर सास अपनी बहु को करवा चौथ पर करवा देती है। इसी तरह बहू भी अपनी सास को करवा देती है। कहानी सुनते या पूजा करते समय आपको दो करवे रखने होते हैं।  सास के दिए करवे से चाँद को अर्घ्य दिया जाता है, वहीं दूसरे करवे में पानी भरकर बहु बायना देते समय अपनी सास को देती है।

रात में इस तरह खोले व्रत

करवा चौथ के दिन कुछ औरतें शाम को कथा सुनने के बाद पानी, चाय या जूस आदि पी लेती हैं और फल व ड्राईफ्रूट भी खाती हैं। वहीं, कुछ जगहों पर चाँद देखने के बाद ही पानी पीने का रिवाज होता है। रात में चाँद को अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद औरतें छलनी से पहले चाँद को और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर करवा चौथ का व्रत खोला जाता है। चाँद देखने के बाद आप खाना खा सकती हैं। करवा चौथ के दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं। जैसे पंजाब में करवा चौथ के दिन साबुत उड़द की दाल और फेनियाँ जरूर बनाई जाती है। वहीं, उत्तर प्रदेश में इस दिन चावल के आटे से फरे बनाए जाते हैं। कुछ लोग इस दिन पूड़ी-सब्ज़ी, कढ़ी, खीर आदि भी खाते हैं। हालाँकि, आजकल तो ज़्यादातर वर्किंग औरतें बाहर डिनर करना ही पसंद करती हैं।

पौराणिक कथा

करवा नाम की एक स्त्री हुआ करती थी जो बहुत पतिव्रता रूपा थीं। करवा का पति उनसे उम्र में काफी बड़ा था लेकिन करवा ने हमेशा सतीत्व का पालन किया। एक दिन करवा का पति नदी  में स्नान के लिए गया तो वहां एक मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया।करवा पति जोर-जोर से पुकार कर करवा को बुलाने लगा। करवा फौरन नदी किनारे पहुंचीं। पतिव्रता स्त्री होने के कारण करवा में सतीत्व का बहुत बल था। उनके सतीत्व में दिव्यता थी। करवा ने सूती साड़ी से धागा निकालकर अपने तपोबल से पति को मगरमच्छ से छुड़ाया। इसके बाद उन्होंने मगरमच्छ को बांधा और यमराज के पास यमलोक जीवित ले पहुंची। यमराज ने जब उनसे आने का कारण पूछा तो उन्होंने साड़ी घटना विस्तार से बताई।इसके बाद यमराज करवा के सतीत्व के बल और पत्नी धर्म की निष्ठा से प्रभावित हुए। यमराज ने करवा को वरदान दिया कि उनका पति दीर्घायु और स्वस्थ्य हमेशा रहेगा।यमराज ने करवा को सुहागिन महिलाओं द्वारा पूजे जाने का शक्तिशाली वरदान दिया।यमराज ने कहा कि कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि करवा के नाम से जानी जाएगी। यह दिन करवा चौथ कहलाएगा और इस दिन करवा की पूजा का महत्व माना जाएगा। इस दिन करवा की पूजा करने से पति की रक्षा होगी और शादीशुदा जीवन समृद्ध बनेगा। इस घटने के बाद से ही इस दिन को करवा चौथ के रूप में महिलाओं द्वारा मनाया जाने लगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त 01 नवंबर दिन बुधवार को करवा चौथ है।

  • करवा चौथ करवा चौथ पूजा) पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 35 मिनट से लेकर 06 बजकर 54 मिनट तक है। –
  • करवा चौथ व्रत (करवा चौथ नियम) समय शाम 06 बजकर 33 मिनट से लेकर 08 बजकर 15 मिनट तक है।
  • अमृत काल मुहूर्त शाम 07 बजकर 34 मिनट से लेकर 09 बजकर 13 मिनट तक है।
  • करवा चौथ पर देश के प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का समय (Karwa Chauth 2023 Moonrise Time)
  • बनारस में चंद्रोदय का समय बनारस में चंद्रोदय का समय 08 बजे होगा।
  • दिल्ली में चंद्रोदय का समय दिल्ली में चंद्रोदय का समय रात्रि में 08 बजकर 15 मिनट पर होगा।
  • मुंबई में चंद्रोदय का समय मुंबई में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 59 मिनट पर होगा।
  • पुणे में चंद्रोदय का समय पुणे में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 56 मिनट पर होगा।
  • औरंगाबाद में चंद्रोदय का समय- औरंगाबाद में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 47 मिनट पर होगा।
  • कोलकाता में चंद्रोदय का समय कोलकाता में चंद्रोदय का समय रात्रि 07 बजकर 45 मिनट पर होगा।
  • पटना में चंद्रोदय का समय पटना में चंद्रोदय का समय रात्रि 07 बजकर 51 मिनट पर होगा।
  • लखनऊ में चंद्रोदय का समय लखनऊ में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 05 मिनट पर होगा।
  • वडोदरा में चंद्रोदय का समय- वडोदरा में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 49 मिनट पर होगा ।
  • कानपुर में चंद्रोदय का समय कानपुर में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 08 मिनट पर है।
  • प्रयागराज में चंद्रोदय का समय प्रयागराज में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 05 मिनट पर है।
  • जयपुर में चंद्रोदय का समय जयपुर में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 19 मिनट पर है।।
  • जोधपुर में चंद्रोदय का समय जोधपुर में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 26 मिनट पर है।
  • उदयपुर में चंद्रोदय का समय उदयपुर में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 41 मिनट पर है।
  • चंडीगढ़ में चंद्रोदय का समय चंडीगढ़ में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 10 मिनट पर है।
  • अमृतसर में चंद्रोदय का समय अमृतसर में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 15 मिनट पर है।
  • इंदौर में चंद्रोदय का समय इंदौर में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 37 मिनट पर है।
  • अहमदाबाद में चंद्रोदय का समय अहमदाबाद में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 50 मिनट पर है।
  • देहरादून में चंद्रोदय का समय देहरादून में चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 06 मिनट पर है।
  • चेन्नई में चंद्रोदय का समय- चेन्नई में चंद्रोदय का समय 08 बजकर 43 मिनट पर है।

करवा चौथ के दिन की पूजा विधि निम्नलिखित रूप में होती है:

सामग्री (Materials Required):

  • करवा (एक मिट्टी का बर्तन)
  • सिंदूर (सुहागी स्त्रियों के लिए)
  • मंगलसूत्र
  • गहनों की थाली
  • अगरबत्ती और दीपक
  • फूल
  • गाय का दूध, पानी, और आदरणीय अर्घ्य के लिए कप
  • चौथ की कथा की पुस्तक
  • पूजा थाली

पूजा विधि (Puja Procedure):

  • पूर्व संध्या (दोपहर) के आस-पास, सुबह के वक्त तक व्रत रखने के बाद, स्त्रियां यह पूजा करती हैं।
  • पूजा स्थल को शुद्ध करें, और व्रत करने वाली महिला सुन्दर साड़ी और श्रृंगारिक रूप में तैयार होकर बैठें।
  • करवा को पानी में डुबोकर धो लें और सिन्दूर के साथ उसे सजाएं।
  • थाली पर व्रत के सभी सामग्री को रखें और दीपक को भी सजाएं।
  • पूजा का समय दोपहर के आसपास होता है, इसलिए धूपबत्ती और दीपक को जलाएं।
  • व्रत कथा को पढ़ें या सुनें, जिसमें करवा चौथ के व्रत की महत्वपूर्ण कथा होती है।
  • अपने पति की ओर मुख करके व्रत कथा के पश्चात् पूजा करें, और करवा के चाक के चारों ओर पानी को प्रदान करें।
  • अपने पति की यात्रा के बाद चांद की दिशा में देखकर व्रत का ब्रट तोड़ें।
  • करवा चौथ का व्रत यह सिद्ध करता है कि पति की आयु बढ़े और उनका सुख-शांति बनी रहे |
  • इस दिन विवाहित स्‍त्र‍ियां अपने पत‍ि की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन निर्जला रहते हुए व्रत रखती हैं।

कैसे तैयार करें करवा चौथ का भोग

करवा चौथ में पारण के लिए कहीं हलवा पूरी और चूरमा तो कहीं आलू की सब्जी और पूरी बनाई जाती है। वहीं कहीं पर इस दिन दाल के फरे और कढ़ी भी बनती है। करवा चौथ पर हलवा, पूरी, खीर, सब्जी, मिठाई बनाई जा सकती है। इस व्रत पर जो भी खाना बनाएं उसमें लहसुन और प्याज का इस्‍तेमाल न करें। भोग लगाने के लिए आप घी और गुड़ ले सकती हैं। इसमें आप सबसे पहले भगवान गणेश जी को भोग की थाली तैयार बनाएं। इसमें हलवा-पूरी रखना न भूलें।

 

 

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