संध्या के पवित्र समय में लगाना चाहिए भगवान का ध्यान

by
रूड़की : श्री भवानी शंकर आश्रम रुड़की में 20 मई से 26 मई तक, प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्री श्री 1008 महा मण्डलेश्वर स्वामी मैत्रेयी गिरी जी और श्री श्री 1008 महा मण्डलेश्वर डॉक्टर हेमानंद सरस्वती जी के श्री मुख से भागवत कथा कही जा रही है। आज कथा में ब्रह्मचर्य अवतार का महत्व, संध्या का समय और इसकी महत्ता, और घरेलू क्लेश और उसके प्रभाव समझाए गए। साथ ही कश्यप ऋषि और दीदी माता की कहानी कही गयी। कथा में बताया गया कि भगवान के सबसे पहले अवतार के रूप में सनत कुमार का उल्लेख किया गया है, जो ब्रह्मचर्य के आदर्श का प्रतीक हैं। यह अवतार हमें ब्रह्मचर्य अर्थात् ब्रह्मा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। जीवन में ब्रह्मचर्य का होना अत्यंत आवश्यक बताया गया है क्योंकि यह मनुष्य को आध्यात्मिक ऊंचाईयों तक ले जाता है।
आगे बताया गया कि  संध्या का समय अत्यंत पवित्र होता है और इस समय को भगवान की उपासना और ध्यान में लगाना चाहिए। कश्यप ऋषि द्वारा दीदी माता को समझाने का प्रसंग भी महत्वपूर्ण है। दीदी माता ने संतान की इच्छा जताई, परंतु कश्यप ऋषि ने उन्हें संध्या के समय भगवान की उपासना करने की सलाह दी। इससे यह सिखने को मिलता है कि संध्या के समय कोई भी व्यक्ति ऐसी इच्छाएं नहीं रखनी चाहिए जो आध्यात्मिक प्रगति को बाधित करे। यह आयोजन श्री महन्त रीमा गिरी जी और श्री महन्त त्रिवेणी गिरी जी के पर्यवेक्षण में हो रहा है।


Related Posts