आयुर्वेद दिवस पर संगोष्ठी : अनुसंधान, नवाचार एवं औषधि गुणवत्ता पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

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  • औषधि गुणवत्ता आयुर्वेद की प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण – डॉ अवनीश उपाध्याय 
हरिद्वार : आयुर्वेद दिवस के अवसर पर हरिद्वार के आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सालियर, जगजीतपुर एवं ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी के संयुक्त तत्वावधान में “आयुर्वेद अनुसंधान, नवाचार एवं औषधि गुणवत्ता” विषय पर एक विशेष ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आयुर्वेद के क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए और अनुसंधान, गुणवत्ता एवं नवाचार को लेकर अपनी बात साझा की।
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, हरिद्वार डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने कहा कि आयुर्वेद केवल एक उपचार पद्धति नहीं, बल्कि जीवन को स्वस्थ रखने का एक संपूर्ण विज्ञान है। आज के समय में जब नई-नई बीमारियों का उभार हो रहा है, अनुसंधान और नवाचार की मदद से आयुर्वेदिक औषधियों की प्रभावशीलता को और बेहतर बनाया जा सकता है। हमें इस दिशा में निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए, ताकि हमारे इस प्राचीन ज्ञान को वैश्विक स्तर पर अधिक मान्यता मिल सके।”
नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय ने बताया कि औषधि निर्माण की गुणवत्ता आयुर्वेद की प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आयुर्वेदिक औषधियाँ मानकों के अनुसार तैयार हों। आधुनिक परीक्षण और शोध के ज़रिए औषधियों की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है, जिससे आमजन का इस चिकित्सा पद्धति में विश्वास बढ़ेगा और यह और अधिक सम्मान प्राप्त कर सकेगी। डॉ उपाध्याय ने आगे कहा कि राष्ट्रीय आयुष मिशन का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद को एक सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार प्रदान करना है। आयुर्वेद केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है। अनुसंधान और प्रमाण आधारित अध्ययन के माध्यम से हम आयुर्वेदिक औषधियों और उपचार विधियों की वैज्ञानिकता को प्रमाणित कर सकते हैं। इससे आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी। हमारा उद्देश्य है कि शोध और नवाचार के जरिए आयुर्वेद को अधिक विश्वसनीय और प्रभावशाली बनाया जाए।
आयुष्मान आरोग्य मंदिर सालियर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नवीन दास ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के द्वारा हम विभिन्न प्रकार के गैर संचारी बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं। डॉ नवीन ने आगे आयुर्वेद के महत्व और विकास पर अपने विचार प्रस्तुत किए। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अश्विनी कौशिक ने कहा नवाचार और अनुसंधान किसी भी चिकित्सा पद्धति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयुर्वेद में भी आधुनिक उपकरणों और तकनीकों के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित रखते हुए औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि यह चिकित्सा पद्धति आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सके।
ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी हरिद्वार के हर्बल चिकित्साधिकारी डॉ सौरभ प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि आयुर्वेद सिद्धांतों के अनुसार, प्रत्येक दोष की अपनी विशेषताएँ, कार्य और गुण होते हैं जो हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, वात गति, रचनात्मकता और संचार के लिए जिम्मेदार है; पित्त पाचन, चयापचय और बुद्धि के लिए जिम्मेदार है; कफ स्थिरता, प्रतिरक्षा और करुणा के लिए जिम्मेदार है। इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ भास्कर आनंद शर्मा एवं डॉ रेनू सिंह द्वारा भी आयुर्वेद विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए।
इस संगोष्ठी में सभी आयुर्वेद प्रेमियों, शोधकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों का विशेष रूप से स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद के आधुनिक अनुसंधानों और औषधियों की गुणवत्ता के महत्व से उन्हें अवगत कराना था। आयोजकों ने बताया कि भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से आयुर्वेद में नवाचार और गुणवत्ता सुधार के प्रयास जारी रहेंगे।




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