पर्यावरण संरक्षण में वृक्षों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण – डीएम स्वाति एस. भदौरिया

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  • उत्पादों की ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग के लिए उचित प्रबंधन किया जाएगा: डीएम
  • प्रशासन, जनता एवं निजी समन्वय से आएगी उन्नत कृषि में क्रांति

खिर्सू/पौड़ी : जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने विकासखण्ड खिर्सू के ग्राम मरोड़ा का स्थलीय निरीक्षण कर हरेला पर्व कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। उन्होंने ग्रामवासियों से संवाद कर उनकी आवश्यकताओं और सुझावों को सुना। उन्होंने ग्राम मरोड़ा को उन्नतिशील गांव के रूप में विकसित किए जाने की बात कही।

कार्यक्रम की शुरुआत ग्रामीण महिलाओं द्वारा पारंपरिक ढोल वादन और स्वागत के साथ हुई। हरेला पर्व के तहत “हरेला गांव – धाद की पहल” के अंतर्गत माल्टा, नींबू, नारंगी जैसे सिट्रस पौधों का रोपण किया गया। कार्यक्रम स्थल पर लगभग 10,000 पौधों का सामूहिक रोपण कर हरेला मार्च भी आयोजित हुआ। साथ ही सिट्रस पौधों का वितरण भी किया गया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस पट्टी को सिट्रस वाले के रूप में विकसित करने हेतु वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार का सहयोग लिया जाएगा, जिससे संस्थागत सहयोग से गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि मरोड़ा को मॉडल गांव के रूप में विकसित कर अन्य ग्रामों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनाया जाएगा।

जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में वृक्षों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसे अभिभावक अपने बच्चों की देखभाल करता है, वैसे ही पौधों की देखभाल आवश्यक है। जिलाधिकारी ने ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि अधिक मात्रा में उत्पादन का प्रयास करना चाहिए जिससे मार्केटिंग में मदद मिलेगी तथा उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा। जब पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होगा तो प्रोसेसिंग तथा पैकेजिंग यूनिट भी गांव में ही स्थापित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए समाज, शासन और निजी क्षेत्र के मध्य बेहतर समन्वय आवश्यक है। इस उद्देश्य से ग्राम मरोड़ा को एक समावेशी विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

जिलाधिकारी ने स्थानीय किसानों द्वारा लगाए गए जैविक उत्पादों के स्टॉलों का निरीक्षण करते हुए उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। उन्होंने पहाड़ी उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना करते हुए कहा उत्पादन में वृद्धि दर्ज होने पर संबंधित उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की दिशा में भी उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके। अधिक संख्या में उपस्थित आम जनों के उपस्थित होने पर उन्होंने राजस्व अधिकारियों को कार्यक्रम के पश्चात राजस्व संबंधी कैंप लगाने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि खाता-खतौनी एवं अन्य राजस्व संबंधी शिकायतों के निस्तारण हेतु एक रोस्टर आधारित कार्यक्रम तैयार कर नियमित रूप से समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।

सीडीओ गिरीश गुणवंत ने कहा कि मरोड़ा को सिट्रस बेल्ट के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामोत्थान परियोजना के तहत किसानों को 60% तक की सब्सिडी मिलती है, जिसका लाभ लेकर किसान सहकारी मॉडल के तहत खेती कर सकते हैं।

मरोड़ा के प्रगतिशील किसान पवन बिष्ट, बीरोंखाल से आए कर्नल यशपाल नेगी तथा पोखड़ा से आए सुधीर सुंदरियाल ने खेती में नवाचार और समन्वय की आवश्यकता बतायी। उन्होंने चैनलिंक फेंसिंग, बीज लाओ अभियान, सिंगल विंडो सिस्टम, गुठलीदार वृक्षों को अपनाने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने किसानों के प्रशिक्षण, कलेक्शन सेंटर और मार्केटिंग की उचित व्यवस्था पर जोर देते हुए जल-जंगल-जमीन की रक्षा और पौधरोपण से जंगली जानवरों को दूर रखने की बात कही।

कार्यक्रम का संचालन तन्मय ममगाईं द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत, संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक रामचंद्र सेट, जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी, समुन्नति फाउंडेशन के निदेशक श्रीधर ईश्वरन, कंसल्टेंट विंग कमांडर अनुपमा जोशी, खंड विकास अधिकारी धूम सिंह, धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानी, कृषक पवन नेगी, हरिओम स्वयं सहायता समूह हरीश डोबरियाल, देवेंद्र नेगी, राजेश बिष्ट, हरीश डोबरियाल, प्रगतिशील किसान कर्नल यशपाल नेगी सहित अन्य अधिकारी व ग्रामीण उपस्थित थे।

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