- निदेशक निधि यादव के निर्देशन में उत्तराखंड पंचायती राज विभाग का ऐतिहासिक प्रशिक्षण अभियान, ग्राम प्रधानों व पंचायत सदस्यों को मिल रहा सुशासन और डिजिटल दक्षता का संपूर्ण प्रशिक्षण
- निदेशक निधि यादव के नेतृत्व में उत्तराखंड में पंचायत प्रशिक्षण बना सुशासन की नई इबारत
- निदेशक निधि यादव के निर्देशन में उत्तराखंड पंचायती राज विभाग का ग्राम प्रधानों एवं पंचायत सदस्यों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में पंचायती राज की शक्ति को वास्तविक अर्थों में जमीन से जोड़ने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। प्रदेश के पंचायती राज विभाग द्वारा निदेशक (आईएएस) निधि यादव के संचालन में ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए एक व्यापक 5-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह कार्यक्रम राज्य के 12 जनपदों के 89 ब्लॉक्स में एक साथ आयोजित किया जा रहा है।
निदेशक आईएएस निधि यादव के निर्देशन में उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा प्रदेश के ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम प्रदेश के 12 जनपदों के 89 ब्लॉक में चल रहा है और इसमें स्टेट लेवल के 150 मास्टर ट्रेनर प्रतिभागियों को प्रारंभिक आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश के 55,887 ग्राम पंचायत सदस्यों और 7,499 ग्राम प्रधानों को इस प्रशिक्षण में शामिल किया गया है। इससे पहले ही 2,947 बीडीसी मेंबर और 358 जिला पंचायत सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों को पंचायती राज व्यवस्था के बारे में जागरूक करना और उन्हें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करना है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंचायती राज विभाग के कार्यकलापों के अलावा आरटीआई, सिटीजन चार्टर, ई-गवर्नेंस, विभागीय पोर्टल, PAI समेत कुल 9 प्रमुख थीम्स पर प्रशिक्षक कार्य कर रहे हैं। प्रशिक्षण रोस्टर वाइज आयोजित किया जा रहा है, जिसमें अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग मास्टर ट्रेनर प्रतिभागियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों को उनके कार्यों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना और उन्हें प्रशिक्षित करना है, ताकि वे अपने कार्यों को और भी प्रभावी ढंग से कर सकें और प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दे सकें। पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रशिक्षण ग्रामीण नेतृत्व की क्षमता को बढ़ाने, पंचायतों के प्रशासनिक कार्यों में दक्षता लाने और डिजिटल एवं ई-गवर्नेंस प्रणालियों के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निदेशक आईएएस निधि यादव ने कहा कि “यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्राम पंचायत स्तर पर निर्णय प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने, नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और स्थानीय विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। प्रशिक्षित ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्य ग्रामीण प्रशासन में सुधार लाने, पंचायतों के प्रशासनिक कार्यों में दक्षता बढ़ाने और डिजिटल शासन प्रणालियों के प्रभावी उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हमारा प्रयास है कि इस प्रशिक्षण से ग्रामीण नेतृत्व सशक्त बने और प्रदेश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र विकास को गति मिले।

मुख्यमंत्री के विजन को धरातल पर उतारने का काम – निदेशक निधि यादव
निदेशक निधि यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा निर्देश दिए गये हैं कि पंचायतें केवल प्रशासनिक इकाई न रहें, बल्कि विकास, पारदर्शिता और जनभागीदारी का केंद्र बनें। इन्हीं निर्देशों के अनुरूप इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को परिणामोन्मुख, जवाबदेह और तकनीक आधारित स्वरूप दिया है। उनके नेतृत्व में यह प्रशिक्षण अब केवल औपचारिकता न रहकर वास्तविक क्षमता निर्माण का मंच बन चुका है।
निदेशक निधि यादव के नेतृत्व में पारदर्शिता और प्रभावशीलता
पहले पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण पर आरोप लगते थे कि ये कार्यक्रम नाममात्र के होते हैं, वास्तविक ज्ञान हस्तांतरण की कमी होती है। लेकिन निदेशक निधि यादव के आगमन के बाद इस तस्वीर में कूल-चेंज आ गया है। उनके सख्त निर्देशों, निगरानी और जमीनी स्तर की टीम बिल्डिंग ने प्रशिक्षण को वास्तविक, प्रभावी और जवाबदेह बना दिया है। पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को निदेशक निधि यादव ने न केवल नया आयाम दिया है, बल्कि इसे एक उदाहरणस्वरूप प्रक्रिया बना दिया है। उनके सख्त निर्देश, समीक्षा तंत्र और डिजिटल निगरानी ने प्रशिक्षण की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और जवाबदेह बना दिया है।
- DPROs और ADOs को प्रशिक्षण केंद्रों में ड्यूटी पर लगाया गया है, ताकि वे स्थल पर व्यवस्थाओं की निगरानी कर सकें।
- निदेशालय पंचायती राज की एक पैनी नजर प्रशिक्षण सत्रों पर है।
- अधिकारी वर्चुअल रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं, जिससे वास्तविक समय में गुणवत्ता और उपस्थिति की जांच संभव हो पाई है।
- खास बात यह है कि निदेशक निधि यादव स्वयं भी प्रशिक्षण कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़कर मॉनिटरिंग कर रही हैं और व्यवस्थाओं की प्रत्यक्ष परख कर रही हैं।

प्रतिनिधि खुद बन रहे प्रचारक, सोशल मीडिया पर कर रहे हैं प्रशिक्षण का वीडियो शेयर
प्रशिक्षण कार्यक्रम की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए पंचायत प्रतिनिधि प्रशिक्षण सत्रों का वीडियो रिकॉर्ड कर साझा कर रहे हैं। यह डिजिटल पहल न केवल प्रशिक्षण की प्रभावशीलता को दर्शाती है, बल्कि अन्य प्रतिनिधियों को सीखने का अवसर भी प्रदान करती है। एक नई और प्रेरणादायक पहल यह है कि प्रशिक्षण में शामिल ग्राम प्रधान और सदस्य अपने प्रशिक्षण के वीडियो साझा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #MyPanchayatTraining जैसे हैशटैग्स के जरिए वे न केवल अपने अनुभव साझा कर रहे हैं, बल्कि अन्य ग्रामीणों को भी पंचायती राज के महत्व के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
प्रशिक्षण में निदेशालय की पैनी नजर और वर्चुअल जुड़ाव
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में न केवल स्थानीय स्तर की टीमें जुटी हैं, बल्कि निदेशालय पंचायती राज की पैनी नजर भी हर स्थल पर है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की मॉनीटरिंग निदेशालय पंचायती राज द्वारा लगातार की जा रही है। अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़कर प्रशिक्षण सत्रों की निगरानी कर रहे हैं। इससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता, समयबद्धता और सभी तकनीकी पहलुओं पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
निदेशालय पंचायती राज विभाग के अधिकारी प्रशिक्षण की गुणवत्ता, समयबद्धता और अनुशासन पर लगातार नजर रख रहे हैं। कि प्रशिक्षण हर ब्लॉक में एक समान गुणवत्ता के साथ संचालित हो और प्रशिक्षण प्राप्त प्रतिनिधि वास्तविक कार्यकुशलता हासिल कर सकें। अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण सत्रों में वर्चुअल रूप से जुड़ रहे हैं, सवाल पूछ रहे हैं और समस्याओं का तत्काल समाधान कर रहे हैं।

DPRO और ADO की पंचायत प्रशिक्षण में ड्यूटी
निदेशक निधि यादव ने निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक ब्लॉक में DPRO और ADO प्रशिक्षण कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल हों। इन अधिकारियों की उपस्थिति से प्रशिक्षण में अनुशासन बना और स्थानीय प्रशासन की भागीदारी सुनिश्चित हुई।
निदेशक निधि यादव के सख्त निर्देशों ने बदली छवि
निदेशक निधि यादव के स्पष्ट और सख्त निर्देशों का प्रशिक्षण पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है। प्रशिक्षक और अधिकारी उनके निर्देशों के अनुसार प्रशिक्षण के हर पहलू को सुनिश्चित कर रहे हैं। इससे कार्यक्रम की गुणवत्ता, अनुशासन और सहभागिता सभी में वृद्धि हुई है। आईएएस निधि यादव के निर्देशन में अब एक नया एजेंडा स्थापित किया गया है। उनके सख्त निर्देशों और सक्रिय निगरानी के परिणामस्वरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम में पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है। निदेशक निधि यादव ने न सिर्फ एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है, बल्कि ग्रामीण शासन के लिए एक नई संस्कृति की नींव रखी है। जहां पहले प्रशिक्षण को फॉर्मेलिटी माना जाता था, आज वह “ज्ञान का मेला” बन रहा है। यह कदम उत्तराखंड को “सशक्त पंचायतों वाला हरित रत्न” बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
निदेशक निधि यादव स्वयं कर रही हैं मॉनीटरिंग
निदेशक निधि यादव प्रशिक्षण कार्यक्रम की मॉनीटरिंग स्वयं कर रही हैं। वे वर्चुअल माध्यम से जुड़कर प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं, प्रशिक्षकों की कार्यकुशलता और प्रतिनिधियों की भागीदारी का मूल्यांकन कर रही हैं। उनकी सक्रिय उपस्थिति और समय-समय पर दिए गए दिशा-निर्देश प्रशिक्षण कार्यक्रम को सटीक, अनुशासित और प्रभावी बना रहे हैं।
निदेशक निधि यादव स्वयं प्रतिदिन वर्चुअल माध्यम से प्रशिक्षण सत्रों से जुड़ती हैं और ब्लॉक स्तर पर व्यवस्थाओं की समीक्षा करती हैं। उन्होंने जिला पंचायत अधिकारियों (डीपीआरओ) और क्षेत्र विकास अधिकारियों (एडीओ पंचायत) को भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए कहा है। इसके परिणामस्वरूप प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति और जवाबदेही में भारी वृद्धि देखी गई है।

निदेशक निधि यादव : “सशक्त पंचायतें, स्वावलंबी उत्तराखंड”
निदेशक निधि यादव ने कहा, “पंचायतें लोकतंत्र की आधारशिला हैं। उनके प्रतिनिधियों को आधुनिक सरकारी प्रणाली, ई-गवर्नेंस और जवाबदेही के उपकरणों की गहन जानकारी होना आवश्यक है। यह प्रशिक्षण न केवल क्षमता निर्माण करेगा, बल्कि प्रदेश में पारदर्शी और प्रभावी स्थानीय शासन को भी बढ़ावा देगा।”
प्रशिक्षण कार्यक्रम का महत्व और भविष्य की दिशा
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल पंचायत प्रतिनिधियों को कौशल प्रदान करने तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य स्थानीय शासन को मजबूत बनाना, ई-गवर्नेंस को प्रभावी करना और ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों को सटीक बनाना है। प्रशिक्षण के तहत दिए जा रहे विषय, जैसे RTI, सिटीजन चार्टर, ई-गवर्नेंस, विभागीय पोर्टल और PAI, ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में सहायक होंगे। है। उत्तराखंड में यह प्रशिक्षण अभियान न केवल पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास है, बल्कि स्थानीय स्तर पर डिजिटल साक्षरता और जवाबदेही की नई संस्कृति का निर्माण भी कर रहा है। निदेशक निधि यादव के सक्रिय नेतृत्व और मॉनीटरिंग से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तराखंड में पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए एक मॉडल बन रहा है।
केंद्र में निदेशक IAS निधि यादव को मिली अहम जिम्मेदारी से उत्तराखंड को मिला विशेष सहयोग
केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय में सक्रिय भूमिका से प्रदेश के विकास कार्यों को मिली नई गति
केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) के तहत गठित उच्च-स्तरीय समिति में निदेशक पंचायती राज विभाग, उत्तराखंड IAS निधि यादव को सदस्य बनाए जाने से प्रदेश को केंद्र सरकार का अपेक्षित सहयोग मिला है। केंद्र में मिली इस अहम जिम्मेदारी से केंद्र–राज्य समन्वय मजबूत हुआ है, जिससे पंचायती राज से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन और ग्रामीण विकास कार्यों को नई गति मिली है।
कॉस्ट नॉर्म समिति में उत्तराखंड की भागीदारी से राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं को राष्ट्रीय नीति निर्माण में शामिल किया जा रहा है, जिसका सीधा लाभ प्रदेश की पंचायतों और ग्रामीण विकास योजनाओं को मिल रहा है।

प्रशिक्षण के प्रमुख विषय और उनका उद्देश्य
निदेशक निधि यादव के निर्देशन में उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा आयोजित 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्राम प्रधानों और पंचायत सदस्यों को नौ प्रमुख विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन विषयों का उद्देश्य प्रतिभागियों को उनके कर्तव्यों, अधिकारों और पंचायत प्रशासन की दक्षता के बारे में गहन जानकारी प्रदान करना है।
- पंचायती राज विभाग
इस सत्र में प्रतिभागियों को पंचायती राज प्रणाली की संरचना और कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी जाती है। इसमें ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर पंचायतों की जिम्मेदारियाँ, प्रशासनिक ढांचा, स्थानीय विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और पंचायतों की कार्यप्रणाली शामिल है। इसका उद्देश्य है कि ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्य अपने क्षेत्र में सुदृढ़ और प्रभावी शासन सुनिश्चित कर सकें।
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आरटीआई (सूचना का अधिकार)
आरटीआई अधिनियम के तहत नागरिकों के अधिकारों और सरकारी जानकारी तक पहुँच को समझाया जाता है। प्रतिभागियों को बताया जाता है कि किस प्रकार से नागरिक सूचना मांग सकते हैं और पंचायत स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।
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सिटीजन चार्टर (नागरिक चार्टर)
सिटीजन चार्टर में सरकारी सेवाओं के मानक समय, प्रक्रिया और अपेक्षाएँ तय होती हैं। प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को सिखाया जाता है कि ग्राम पंचायत स्तर पर नागरिकों को सेवाएँ कैसे पारदर्शी और समयबद्ध रूप से प्रदान की जा सकती हैं।
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ई-गवर्नेंस
ई-गवर्नेंस सत्र में डिजिटल प्रणाली के माध्यम से पंचायत प्रशासन को दक्ष, त्वरित और पारदर्शी बनाने की तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें ऑनलाइन पोर्टल, मोबाइल एप्लीकेशन और डिजिटल रिकॉर्डिंग प्रणाली का परिचय और उनका उपयोग सिखाया जाता है।
- विभागीय पोर्टल
यह सत्र पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधानों को विभागीय पोर्टलों पर डेटा अपलोड, योजना की निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली का प्रशिक्षण देता है। इसका उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को केंद्रीकृत और डिजिटल तरीके से संचालित करना है।
- पीएआई (पारदर्शिता और जवाबदेही)
पीएआई प्रशिक्षण में सतत निगरानी, कार्य निष्पादन और जवाबदेही की प्रक्रिया को समझाया जाता है। प्रतिभागियों को यह सिखाया जाता है कि वे अपने क्षेत्र में योजनाओं और गतिविधियों के परिणामों को पारदर्शी रूप से रिपोर्ट कर सकें।
- स्थानीय विकास योजनाओं का प्रबंधन
प्रतिभागियों को ग्राम स्तर पर योजनाओं की योजना बनाना, कार्यान्वयन, फंड का उपयोग और निगरानी करने की तकनीक सिखाई जाती है। इसका उद्देश्य है कि स्थानीय विकास परियोजनाएँ समय पर और सही ढंग से पूरी हों।
- ग्राम पंचायत लेखा और वित्त प्रबंधन
इस सत्र में लेखा, बजट, वित्तीय रिपोर्टिंग और ऑडिट प्रक्रियाएँ सिखाई जाती हैं। ग्राम प्रधानों और पंचायत सदस्यों को यह समझाया जाता है कि कैसे वित्तीय संसाधनों का सही और पारदर्शी उपयोग किया जाए।
- जनभागीदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व
इस सत्र में प्रतिभागियों को सामाजिक सहभागिता, समुदाय के साथ समन्वय और निर्णय प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सिखाई जाती है। उद्देश्य है कि पंचायत निर्णय सर्वसहमति और निष्पक्षता के साथ लिए जाएँ।
9 थीम्स पर पंचायत प्रतिनिधियों को दिया जा रहा हैं प्रशिक्षण
- थीम 01- गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका गांव
- थीम 02 – स्वस्थ्य गांव
- थीम 03 – बाल हितैशी गांव
- थीम 04 – जल पर्याप्त गांव थीम
- थीम 05 – स्वच्छ और हरा-भरा गांव
- थीम 06 – आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे युक्त गांव
- थीम 07 – सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव
- थीम 08- सुशासन युक्त गांव
- थीम 09 – महिला हितैशी गांव
प्रशिक्षण कार्यक्रम की विशेषताएं
प्रशिक्षण कार्यक्रम में रोस्टर वाइज अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों को उनके कार्यों में अधिक प्रभावी और कुशल बनाने में मदद करेगा। निदेशक आईएएस निधि यादव के निर्देशन में उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा आयोजित इस 05 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंचायती राज एक्ट, आरटीआई, सिटीजन चार्टर, ई-गवर्नेंस, विभागीय पोर्टल, पीएआई, 9 थीम्स सहित अन्य विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रोस्टर वाइज अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों को विभिन्न विषयों पर गहराई से जानकारी मिल सके।






























