जनता के अफसर IAS सविन बंसल, जब सिस्टम थमे, तो जनता का सहारा बने डीएम, जिसनें आमजन के दिलों में बनाई जगह

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देहरादून। जब सिस्टम थक जाए, जब फाइलें सालों तक धूल खाती रहें, जब शिकायतें सिर्फ रजिस्टरों में दर्ज रह जाएं — तब एक ऐसा अफसर सामने आता है जो न केवल सुनता है, बल्कि मौके पर ही समाधान करता है। ऐसे ही अफसर हैं जिलाधिकारी सविन बंसल, जिन्हें लोग अब सिर्फ डीएम नहीं, जनता का अफसर कहने लगे हैं। जनपदवासियों के दिलों में जगह बनाने वाले सविन बंसल की कार्यशैली और उनका जमीनी जुड़ाव एक मिसाल बन चुका है। वे न तो प्रचार के भूखे हैं, न ही दिखावे के। वे फील्ड में जाते हैं, सुनते हैं, समझते हैं और उसी वक्त समाधान कर कार्यवाही करते हैं। यही फर्क है एक कुर्सी पर बैठे अफसर और एक जनसेवक अफसर में।

जनपद में जहां सरकारी तंत्र की सुस्ती और फाइलों की धीमी रफ्तार से जनता अक्सर त्रस्त रहती है, ऐसे समय में जिलाधिकारी सविन बंसल एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं। उनकी कार्यशैली और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें ‘जनता का अफसर’ बना दिया है, और जनपद वासी खुलकर उनके समर्थन में खड़े हैं।

जब भी सिस्टम चुप हो जाता है, फाइलें महीनों धीमी गति से रेंगती हैं और आम लोग थक-हार कर उम्मीद छोड़ देते हैं, तब डीएम सविन बंसल जैसा एक ऐसा अफसर मैदान में उतरता है जो न केवल धैर्य से सुनता है, बल्कि बिना किसी दिखावे, बिना किसी देरी के मौके पर ही समस्या का समाधान भी करता है। यह कार्यशैली उन्हें केवल एक कुर्सी पर बैठे अधिकारी से कहीं अधिक, ‘जनता के अफसर’ के रूप में स्थापित करती है।

अफसर नहीं, उम्मीदों का चेहरा

सविन बंसल अब सिर्फ एक नाम नहीं, एक उम्मीद बन चुके हैं। उनकी सादगी, तत्परता और निडर निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें आम लोगों का साथी बना दिया है। जब जनता की आवाज़ें दबाई जाती हैं, तब ऐसे अफसरों की मौजूदगी एक राहत बनकर आती है। उत्तराखंड की धरती ने कई ईमानदार और निष्ठावान अफसर देखे हैं, लेकिन सविन बंसल जैसा जज़्बा कम ही देखने को मिलता है। 

देहरादून को चलाया नहीं, संवारा जा रहा है

सविन बंसल का मानना है कि देहरादून जैसे संवेदनशील और तेजी से विकसित होते जनपद को केवल प्रशासनिक आदेशों से नहीं, संवेदनशीलता और ज़मीनी कार्यशैली से आगे बढ़ाया जा सकता है। इसी सोच के साथ उन्होंने जनपद को सुशासन का आदर्श मॉडल बनाने की दिशा में कई उल्लेखनीय पहल की हैं।

हर मोर्चे पर सक्रिय, हर क्षेत्र में प्रगति

चाहे बात शिक्षा की हो, स्वास्थ्य व्यवस्था की, सड़क सुरक्षा की या अतिक्रमण हटाने की — जिलाधिकारी बंसल खुद मौके पर पहुँचकर न केवल निरीक्षण करते हैं, बल्कि ज़रूरत पड़ी तो खुद मोर्चा भी संभालते हैं। शहर का ट्रैफिक प्रबंधन लगातार सुधर रहा है और अवैध कब्जों के खिलाफ चल रहे अभियान में उन्होंने नेतृत्व करते हुए कई कठिन निर्णय भी लिए।

भिक्षावृत्ति और बाल श्रम पर कड़ा प्रहार

सविन बंसल के प्रयासों से जनपद में भिक्षावृत्ति और बाल श्रम जैसी सामाजिक कुरीतियों पर प्रभावी नियंत्रण देखा गया है। बड़ी संख्या में ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया है जो पहले भिक्षा या मज़दूरी करने को विवश थे।

जनता दरबार : समाधान की गारंटी

उनका जनता दरबार अब एक प्रतीक बन गया है। वहाँ आने वाला शायद ही कोई व्यक्ति निराश लौटता हो। सविन बंसल की प्राथमिकता सिर्फ एक रही है — जनता की तकलीफ कम करना। उनकी कार्यशैली यह दर्शाती है कि प्रशासनिक सेवा का असली मतलब लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है।

निजी मुलाकात नहीं, लेकिन काम बोलते हैं

भले ही अभी तक डीएम सविन बंसल से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं की है, लेकिन उनके कार्यों से जो संदेश पहुंच रहा है, वह किसी व्यक्तिगत परिचय से कहीं अधिक प्रभावशाली है। देहरादून की जनता खुद उनकी ईमानदारी, सजगता और संवेदनशीलता की सबसे बड़ी गवाह बन चुकी है।

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